राष्ट्रीय आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सक सम्मेलन मुम्ता काश मंच पर सम्पन्न हुआ, कार्यक्रम का शुभारभ आयुर्वेद प्रवर्तक भगवान धनवति धनवन्तरि जी के सामने दीप प्रज्वलित कर किया गया, दीप प्रज्वलित सम्मेलन के संरक्षक आचार्य डॉ. अब्दुल सत्तार (सत्यवान) वैध पदम दत्त पाठक ने किया।व वैसे * मुख्य वक्ता डॉ लालता प्रसाद त्यागी ने कहा कि अपस्मार/मृगी मस्तिष्क को लभण 3 अरब न्यूरोन को शिका औ से बना है। जिसकी क्रियाशीलता से हमोर ऐच्छिक और अनैच्छिक कार्य नियंत्रित होता है। मस्तिष्क के सभी कोषों में एक विद्युतीय प्रवाह होता है। मस्तिष्क ठीक से काम करें विद्युतीय नाडियों के दुवारा एक-दूसरे से संपर्क बनाये रखती हैं। जब कभी आवश्यकता से अधिक विधुतीय अकारण अनैच्छिक बिजली का संचार होने से व्यक्ति को झटके लगते हैं, उन्हें हो मिर्गी कहते हैं, फीताकृमि परजीवी के कारण 40%. मृर्गी के रोगी बन रहे हैं। ملے
मुम्ता वक्ता – बैध मुकेश मिश्रा ने मानसिक रोगों के
प्रकार का वर्णन किया और मृगी की चिकित्सा पर विचार रखे कहा- आयुर्वेदिक दवाओं से मृग्गी की रोज की सफा चिकित्सा की ज्य सकती है। आयुर्वेद के कई अनुभूत योग भी उन्होंने स्थिकित्सकों के साथ साक्ष साथ किये, आपसी प्रेम-व एकता पर भी जोर दिया।
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